भारत में ब्रेस्ट कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. महिलाओं में तेजी से फैलने वाली यह जानलेवा बीमारी जागरूकता की कमी और सही समय पर इलाज नहीं होने के कारण बढ़ रही है. अगर समय रहते इसकी जांच करवाकर इलाज शुरू किया जाए तो काफी हद तक इसे कंट्रोल किया जा सकता है. भारत में शर्म के कारण बहुत सी महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की जांच नहीं करवाती हैं. एम्स दिल्ली के डॉक्टरों का कहना है कि भारत में 32 फीसदी महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की जांच से शर्म और झिझक के कारण मेडिकल हेल्प लेने से बचती हैं. इस वजह से समय पर बीमारी की पहचान नहीं होती और ये बीमारी तेजी से बढ़ रही हैं.
महिलाओं को शर्म और डर लगता है कि यह टेस्ट कराने से परिवार और समाज में उनके प्रति लोगों के विचार बदल जाएंगे. जो चिंता की बात है. क्योंकि देर से पता चलने पर ब्रेस्ट कैंसर का इलाज मुमकिन ही नहीं नामुमकिन हो जाता है.
एम्स के सर्जिकल, प्लास्टिक सर्जरी विभाग और मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने कहा कि 50-60% महिलाओं को ब्रेस्ट से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. पर वो खुलकर बात नहीं कर पाती हैं. केवल 6-10% महिलाएं इलाज कराने के लिए अस्पताल पहुंच रही हैं. इसमें 40-60 फीसदी महिलाएं तो सायकोलॉजी की समस्या से पीड़ित हैं और 32% महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की जांच करवाने से बचती हैं. इसमें शर्मिंदगी और झिझकपन शामिल हैं.
एम्स के बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. मनीष सिंघल कहते हैं कि 50-60 फीसदी महिलाएं कभी न कभी स्तन संबंधित समस्याओं से परेशान होती हैं, लेकिन शर्मिंदगी की वजह से वह टेस्ट और इलाज करवाने से बचती हैं.
प्लास्टिक सर्जरी की डिमांड तेजी से बढ़ी
स्तन से संबंधी परेशानी के बारे डॉ. शिवांगी साहा बताती हैं कि आज प्लास्टिक सर्जरी की मांग में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. साहा का कहना है कि प्लास्टिक सर्जरी की डिमांड 30 फीसदी तक बढ़ी है, जो स्तन से जुड़ी समस्याओं का समाधान करती है. वहीं, सर्जिकल डिसिप्लिन विभाग के प्रोफेसर डॉ वी के बंसल के अनुसार, आगामी दिनों में नई तकनीकी आने से ब्रेस्ट कैंसर का इलाज और भी आसान होगा. हालांकि, वो यह कहते हैं कि यदि कैंसर के मामले जल्दी पहचान में आते हैं, तो इलाज की प्रक्रिया अधिक प्रभावी होती है
मेमोग्राम टेस्ट से क्यों बचती हैं महिलाएं ?
शहरों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर जांच को लेकर ज्यादा झिझक महसूस करती हैं. एम्स की रिसर्च में पाया गया कि कई महिलाएं इसे गैर-जरूरी मानती हैं. वहीं, कुछ इसे करवाने में असहज महसूस करती हैं. कई महिलाएं इसलिए टेस्ट नहीं करवातीं क्योंकि उन्हें लगता है कि लोग क्या कहेंगे.
मेमोग्राम टेस्ट से ब्रेस्ट कैंसर का चलता है पता
दरअसल, मेमोग्राम टेस्ट ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षणों के बारे में जानकारी देता है. महिलाओं के स्तन में गांठ या किसी तरह की असहजता होने पर तत्काल यह टेस्ट करवा लेना चाहिए. यह टेस्ट सरकारी और निजी अस्पतालों में किया जाता है. टेस्ट से पता चलता है कि कैंसर का फेज कौन सा है. इसलिए महिलाओं को बिना झिझक और शर्म किए टेस्ट करवाना चाहिए. जिससे उन्हें इलाज में सुविधा हो सके.
क्यों बढ़ रहे हैं ब्रेस्ट कैंसर के मामले?
बदलती जीवनशैली, अनहेल्दी खान-पान देरी से मां बनने और हार्मोनल बदलाव के कारण आज ब्रेस्ट कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. सही समय पर टेस्ट नहीं करवाने की वजह से भारत में हर साल हजारों महिलाएं इस कैंसर से जूझ रही हैं और कई महिलाओं की तो जान भी चली जाती हैं.